असहनीय
दलित उत्पीडन में अकेला संघर्ष
सामाजिक
न्याय में संघर्ष ,
न्याय
नही मिला
में
हरीश राम पुत्र स्व० नाथूराम
नई बस्ती डीडीहाट पिथौरागढ़
उत्तराखंड 1999
में
12 साल
का था हमारे परिवार में गहरा
संकट आ पड़ा,
हम
तबाह हो गये घर सामनो की नीलामी
पिताजी को सजा फिर मृत्यु |
पिताजी
के नाम से हजारो का हेसियत
प्रमाण नगर पंचायत से प्राप्त
कर कुछ पैसा शराब के लालच में
जिला न्यायालय में तिब्बती
अभियुक्तों की जमानत करा दी
| अभियुक्त
तारीको में आये नही,न्यायालय
में उपस्थित में हुए नहीं |
न्यायालय
ने जमान्तियो पर कार्यवाही
कर दी घर के सामनो को पुलिस
उठा कर ले गयी फिर नीलामी की
गयी | फर्जी
हैसियत को मेरी माता जी ने
एडवोकेट कुंदन सिंह कफलिया
के द्वारा न्यायालय में चुनोती
दी गयी थी |
पर
बख्स दिए गये फर्जी हैसियत
बनाने वाले |
न्यायालय
में जमानत राशि जमा करना था
मेरी माँ के पास पांच हजार
रूपया बैंक में जमा थे रशीद
सुधा जोशी के पास रखे थे 26
अगस्त
1999 में
रशीद मांगने पर मेरे माँ बाप
को सडक में घसीट घसीट कर पिटा
गया बैंक जाने पर बैंक मेनेजर
द्वारा धक्के मारकर मेरी माँ
को यह कह बहार किया कि तेरा
बैंक में कोई पैसा नहीं है |
मामला
पुलिस थाना डीडीहाट,पुलिस
उपाधीक्षक के पास पंहुचा
मीडिया की सुर्खिया बनी |
पैसा
नही मिला पेसो के आभाव में
मेरे पिताजी स्व नाथूराम को
सजा हो गयी जिला जेल अल्मोड़ा
भेज दिया गया |
जहां
आत्म ग्लानी से गंभीर बीमार
पद गये घर भेज दिया गया फिर
मृत्यु हो गयी |
मेरे
पिताजी शराब पीते थे वह जमानती
थे वह जामनती थे शातिर अपराधी
नहीं थे |
दूसरे
जामनती ने 5
हजार
न्यायालय में जमा किया सजा
से बच गया |
पुलिस
जांच में स्पष्ट हुआ,रशीद
सुधा जोशी के पास ही थी |
रशीद
देने में संकोच क्यों |
वर्ष
2006 में
केस स 847/006
जयंती
देवी बनाम सुधा जोशी जूनियर
डिविजन न्यायालय डीडीहाट में
दायर
हुआ मजिस्ट्रेट पेसकार ने
कहा बड़े लोगो से मत टकराओ केस
वापस ले लो उस समय हमारा सहयोगी
जसवंत सिंह जंगपांगी अल्मोड़ा
जेल में था हमारा कोई सहयोगी
नहीं था केस वापस ले लिया |
फिर सुधा जोशी के वकील
अरविन्द चोहान ने नोटिस पारित
कर कोर्ट खीचने का धोंस दिया,
फिर मेनें जसवंत सिंह
जी की मदद से नोटिस का मुहतोड़
उत्तर जवाब दिया तब से बोलती
बंद है |1999 में बेंक
से पैसा मिल जाता तो में अनाथ
तथा मेरी माँ विधवा नहीं होती
| जसवंत सिंह ने बहुत
सहा है हमारे लिए में उनका
आभार व्यक्त करता हूँ |
जसवन्त सिंह के प्रयासों
के चलते 2001 में 10
हजार से ज्यादा का
भुगतान मेरी माता श्रीमती
जयंती देवी को शपथ पत्र से
जिला सहकारी बैंक से किया गया
रशीद फिर भी सामने नहीं आयी
क्योकि रशीद से पूर्व में
फर्जी तौर से पैसा निकल चूका
था पुलिस बैंक ने सुधा जोशी
का बचाव किया था बैंक अधिनियमों
अनुसार बैंक F.D. कभी
भी तोड़ी जा सकती है | अल्मोड़ा
जेल में पिताजी जी से मिलने
गया था | बहुत अफ़सोस
था उनको लोगो ने धोखा दिया
था,मेरे पिताजी की
हत्या की है सुधा जोशी ने,बैंक
ने,नगर पंचायत
डीडीहाट ने, पुलिस
ने , वे चाहते तो हमे
पैसा 1999 में ही मिल
जाता बैंक एफ डी कभी भी तोड़ी
जा सकती है मेरी माँ ने वर्षो
सुधा जोशी के घर में मेहरी का
काम किया था |
हरीश
राम
स्व
कौशल्या देवी को इन्साफ मिलना
चाहिए था जैमती देवी पत्नी
देवेन्द्र सिंह टोलिया अम्बेडकर
वार्ड डीडीहाट
बहुत
खुदार ओरत थी कौशल्या देवी
कठोर परीश्रम से पति पत्नी
ने अपना आशियाना बनाया था पचास
साल से ज्यादा पुराना है उनका
घर अपने छोटे बेटे कैलाश,बहु
तथा छोटी पोती तानिका के साथ
रहती थी | बड़े बेटो
नेंर नाता तोड़ लिया था पति
भवान सिंह की मृत्यु 30 साल
पहले हो गयी थी |
दुसरो
के घरो के आगे से सार्वजनिक
शौचालय पेशाब घर पैदल मार्ग
हटाकर उनके घर के आगे बनाना
अमानवीय था बहुत गिडगिडायी
थी | किसी
का सहयोग मानवीय संवेदनाओ
में नहीं | अपने
सामाजिक न्याय और अधिकारों
में अभाव में रहते हुए भी संघर्ष
पर उत्तर आयी थी | जसवंत
सिंह का भावनात्मक सहयोग
उन्हें मिला | जीवन
में पहली बार 72 वर्ष
की उम्र में नैनीताल देहरादून
हरिद्वार मैदानी क्षेत्रो
को देखा | आर्थिक
तथा मानसिक रूप से परेशान
बीमार पद गयी | बड़े
बेटे ने शौचालय तथा पानी का
रास्ता बंद कर दिया | क्या
करती मेरे घर रहने लगी में एक
विधवा हूँ एक विधवा का दर्द
विधवा ही जानती है | जसवंत
सिंह उनके लिए संघर्ष करता
है जिसका कोई नही होता है |
मेरे घर में
बेहोस हुई फिर मृत्यु हो गयी
कौशल्या देवी |
जैमती
देवी
शांति
देवी टोलिया पत्नी हयात सिंह
तहसील वार्ड डीडीहाट
मेने अंतर
जातीय विवाह किया मेरे पति
बेरोजगार है,मेरे
छोटे छोटे चार बच्चे है |
मेरे पति अचानक
बीमार पड़ गये हमारी आर्थिक
स्थिति दयनीय थी मरणासन स्थिति
में जिला चिकित्सालय पिथौरागढ़
जसवंत सिंह जंगपांगी ले गये
चिकित्सालय के बरामदे में रह
कर मेरे पति का उपचार किया |
आज मेरे पति
एक दम ठीकठाक है | ऐसा
तो अपने भी नहीं करते है |
कैलाश
सिंह टोलिया
जसवंत सिंह
जो दुसरो के लिए करते है अपने
भी ऐसा नहीं करते है मेरे माता
जी को न्याय दिलाने के लिये
देहरादून, नैनीताल,
पिथौरागढ़,तथा
न्यायालय जसवंत सिंह के अथाह
प्रयासों के चलते आज जमीन
तहसील रिकार्ड में हमारे नाम
पर अंकित हुआ है | मुझे
आशा है हमे इन्साफ भी उनके
प्रयासों से मिलेगा |
कैलाश सिंह
टोलिया
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