Monday, 8 July 2013

गगन सिंह रजवार केस डाक्यूमेंट्स







उत्तराखंड देव भूमि में तबाही हर तन्त्र नाकाम

माननीय मुख्यमंत्री महोदय उत्तराखंड शासन देहरादून

उत्तराखंड देव भूमि में तबाही हर तन्त्र नाकाम, कही ये गरीब बेबस लाचार तथा आदिवासियों दलितों की हाय तो नहीं नेताओं चंद राजनेताओ तथा प्रशासनिक अधिकारियो एवं माफियाओं ने भरपूर फायदा उठाया है अलग उत्तराखंड राज्य बनने का बांकी सब तबाह है | उत्तराखण्ड में दो दिन में निपटा जा सकता था देवी आपदा से यदि उत्तराखण्ड आज भी उत्तर प्रदेश का हिस्सा होता तो, माननीय आजमा खां कुछ हद तक सही कहते है |

बहुत शुब्ध हूँ में देव भूमि की दुर्दशा देख कर मेरा सौभाग्य है मेने 12 साल उत्तराखंड के दुर्गम से दुर्गम क्षेत्र में कठोर सेवा की है हर आपदा को सहा है | सीजन में नहीं आफ सीजन में दर्शन किया है चारो धामों का ऐसा मंजर कभी नहीं देखा आज पूर्व के नेपाल तथा उत्तराखण्ड में कोई फर्क नहीं रह गया है जहां न्यायालय पुलिस अधिकारी के कार्यालय,तहसील,जिला परिसर में खुले आम शराब बिकती है, सुविधा चुनाव राष्ट्रिय पर्वो में भी बरकरार रहती है | प्रदेश में कानून तोड़ने वाले माला माल हो गये है कानून का पालन करने वाले कंगाल | तबाही हुए है प्रशासन शाशन की गैर जिम्मेदाराना हरकतों के चलते, डेंजर जोन 5 में अति सवेदनशील भूकम्पीय दृष्टि से जंहा बहुमंजिला इमारत का निर्माण वर्जित है पालन करता है कौन, डमी देवी आपदा की त्रास्तिया में देवी आपदा से कम गलत निर्माणों तथा व्यवस्थाओं से ज्यादा साबित हो चूका है | बिना सोचे समझे नदियों के किनारे, चट्टानों के नीचे इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना, मालपा कांड से सबक लिया होता | इस तबाही से बचा जा सकता था | 10 गुना ज्यादा लोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चरो में, आज उत्तराखंड के हर दुर्गम क्षेत्र में
गुरिल्ला प्रशिक्षण प्राप्त हजारो लोग हर गाँव में निवास करते है | दुर्गम क्षेत्र में काली, गोरी, अलकनंदा,भागीरथी नदियों को उफनते बहाव में स्थानीय लोग आर पार करते है थोडा साधन,प्रशिक्षण देकर देवी आपदा तथा पर्यावरण संरक्षण में उनका उपयोग किया जा सकता है | रेस्क्यू टीम हर गाँव में तैयार की जा सकती है | चार धाम यात्रा भी कैलाश मानसरोवर यात्रा की ततर्ज पर होनी चाहिये उन्हें सुरक्षा मेडिकल से सुसज्जित होना चाहिए | चारो धामों की यात्रा |

में एक सजा याफ्ता हूँ LIC भ्रष्टाचार में संघर्ष करने पर निर्दोष था तभी अपील नहीं किया था RTI ने साबित किया है सजा न्यायिक प्रणालियों का उल्लघन अधिकारियों का दुरूपयोग था |

सजा इतिहासिक जेल अल्मोड़ा में काटी है जहां महान आत्मा पंडित जवाहर लाल नेहरु ने देश की आजादी के लिये यातना भोगी थी बहुत प्ररेणा देती है नेहरु जी का जीवन |

उत्तराखण्ड में घिनोने गरीब बेबस लाचार आदिवासी अनुसूचित जातिओ के उत्पीड़नो भ्रष्टाचारो का पर्दाफास जिसमे माननीय न्यायपालिका भी अछूती नहीं | जहा कुम्भ पर्व में भ्रष्टाचार व्याप्त होता हो वहा क्या होगा भ्रष्टाचारियो का आपरेशन होना चाहिये |
http://humancorruption.blogspot.in/ की अवलोकन की कृपा की जाय |

जसवंत सिंह जंगपांगी 

DIG dwara bhrmit RTI



LIC RTI July 2013






शिकायतकर्ता - कैलाश सिंह टोलिया पुत्र भवान सिंह टोलिया july 2013

शिकायतकर्ता - कैलाश सिंह टोलिया पुत्र भवान सिंह टोलिया
तहसील वार्ड डीडीहाट
जनपद – पिथौरागढ़
उतराखंड

सेवा में
श्रीमान कलक्टर महोदय
जनपद पिथौरागढ़
उत्तराखंड

विषय :- श्रीमान के जांच आदेश पत्रांक 13671 दिनांक 22.4.2013 में तहसीलदार उपजिला अधिकारी डीडीहाट द्वारा निर्मूल भ्रमित एवं झूठा जांच आख्या माननीय लोक आयुक्त उत्तराखंड में पंजीकृत शिकायत में जवाबदेही से संलग्नो का सूक्ष्म जांच पारदर्शिता से दोषियों पर अपराधिक मामला पंजीकृत शिकायत में जवाब देहि से संलग्नो का सूक्ष्म जांच पारदर्शिता से दोषियों पर अपराधिक मामला पंजीकृत दलित उत्पीडन सरकारी सम्पति नष्ट करने सरकारी धन का दुरूपयोग करने झूठा जांच आख्यायो से माननियो को गुमराह करने में शिकायत ,माननीय लोकआयुक्त एवं अनुसूचित जनजाति प्रांतीय आयोग एवं माननीय अनुसूचित जनजाति मामले भारत सरकार को भी पृष्ठांकित है |

महोदय
वर्ष 2009 में रोडवेज स्टेशन डीडीहाट किमी 315 ओगला थल मार्ग के किनारे 4 मीटर में हमारे घर के आगे नगर पंचायत डीडीहाट द्वारा पूर्व के सार्वजनिक शौचालय पेशाब घर तथा पैदल मार्ग को नगर पंचायत बोर्ड द्वारा जीर्ण शीर्ण घोषित करके ध्वस्त कर नया सम्स्तो का निर्माण हमारे निवास आगे करना आरम्भ कर दिया था हमारे ऐतराज करने पर भी भा०ज०पा० समर्थको के हित में उपरोक्त निर्माण कर दिया गया | उपरोक्त मामले में लो०नि०वि० प्रांतीय खंड डीडीहाट द्वारा रोडलैंड कंट्रोल एक्ट 1945 का उल्लघन तथा अतिक्रमण करार करते हुए नोटिस में नोटिस नगर पंचायत को जारी किया गया | नोटिसो को क्रमशः श्रीमान कलक्टर तथा उपजिला अधिकारी को पृष्ठांकित था | फिर भी अवैध निर्माण जारी रखा गया | नगर पंचायत द्वारा अपने सफाई में दिनांक 23 दिसम्बर 2005 को एक झूठी दलील किया गया निर्माण राज्य सरकार भूमि नगर पंचायत की स्वमित्व वाली भूमि में की जा रही है | जिसे श्रीमान कलक्टर जनपद पिथौरागढ़ द्वारा नकातरे हुए उपजिला अधिकारी डीडीहाट को सख्त आदेश पारित तत्काल किया गया अधिशासी अभियन्ता से विधिवत अनुमति मिलने तक निर्माण स्थगित कर दे | अपने सामाजिक न्याय में अधिकारों में लम्बा संघर्ष किया संवेदन विहीन समाज में कोई सहयोगी नहिओ हर किसी ने कुचला हमे भाइयो ने पानी शौचालय का रास्ता बंद कर दिया | माननीय न्यायालय द्वारा 98000/- कोर्ट फीस की मांग जो हमारे सामर्थ्य से बाहर की बात थी कोर्ट फीस जमा न हो सका मामला ख़ारिज | हाथ जोड़कर गिडगिडाई थी मेरी माता जी माननीय विधायक विशन सिंह चुफाल के सामने विधायक जी आग बबूला होकर फटकारा था यही बनेगा शौचालय तथा पैदल मार्ग कहा और बना कर दिखा दिया मार्ग बदलने के लिए शासना आदेश नहीं शाशन के पास | 1967 में बेनाप आबादी नाप भूमि के सिलसिले में श्रीमान परगना अधिकारी द्वारा संस्तुति वाली भूमि आजतक तहसील रिकार्ड में अंकित नहीं हुआ है | बड़ा भाई हेड मास्टर बांस बगड मुनस्यारी ने 25 साल पैत्रिक भूमि 10 मुट्ठी भूमि को 5 हजार में जसवंत सिंह खोलिया को बेच डाला है तब में मात्र 10 साल का था | कानून शेष भूमि उसक अधिकार ही नहीं बनता है पैत्रिक आवास में मध्य में माता जी हमारे साथ रहती थी हेड मास्टर ने पक्का निर्माण कर हमारे शौचालय पानी का रास्ता बंद कर दिया है हमे अब 200 मीटर घूम कर दुसरो के घरो में जाना पड़ता है | कब्जे वाली भूमि में विशाल वर्षो पुराना मेल का पेड़ काट कर न्य निर्माण हेड मास्टर कर रह है पंचो का फेसला बताकर | जमीन नाम पर 2013 में अंकित हुआ है परगनाधिकारी वन विभाग तथा पुलिस द्वारा सुनी नहीं जाति है, आर्थिक मानसिक रूप से व्यथित होकर माता जी का अचानक देहांत हो गया है शौचालय पानी के पत्नी बेटी व्यथित है हमे न्याय नहीं मिला में यहाँ सब कुछ छोड़ कर पलायान कर दूंगा |



कैलाश सिंह टोलिया

कैलाश सिंह टोलिया द्वारा आवेदन 5 जुलाई 2013

जसवंत सिंह जंगपांगी
तहसील वार्ड डीडीहाट
पिथौरागढ़

सेवा में
श्रीमान कलक्टर महोदय
जनपद -पिथौरागढ़ मन

महोदय

आवेदक कैलाश सिंह टोलिया द्वारा आवेदन में उल्लेखित एक-एक कथन मेरे संज्ञान से यथा सत्य है महामहिम राज्य पाल, माननीय हाईकोर्ट नैनीताल, माननीय सूचना आयोग अनुसूचित जनजाति आयोग जूनियर डीडीविजन न्यायालय डीडीहाट में श्रीमान कलक्टर उपजिला अधिकारी तहसीलदार, नगर पंचायत डीडी हाट लोक निर्माण विभाग दर्जनों बार तलब हुए हजारो पत्राचार जो अब भी बरकरार है लाखों राजस्व फूंका गया सबका सामना मेने अकेले किया फिर भी बी०पी०एल० परिवार को इन्साफ नहीं मिला एक एक साक्ष्य मेरे ब्लॉग http://humancorruption.blogspot.in/ में है जिसका अवलोकन समूचा विशव कर रहा है क्योकि देश में इन्साफ मिलाता है पेसो से जनान्दोलन राजनेता के सहयोग से मीडिया के भरपूर सहयोग से | भ्रष्टाचारो घिनोने दलित उत्पीड़नो में जो शर्मनाक भी है अकेला संघर्ष वन मेन आर्मी की तरह बिना किसी के सहयोग के किया है, हम उस देश तथा समाज में रहते है जहां हर व्यवस्थाऔ में बर्ताव, व्यवहार सामने वाले के स्टेट्स को देखकर किया जाता है बेबस लाचार गरीबो तथा दलितों को इंसान नहीं पशु समझा जाता है |




जसवंत सिंह जंगपांगी 

RIGHT TO INFORMATION ACT 8 pages

RIGHT TO INFORMATION ACT

एकR.T.I. सुचना का अधिकार कानून 2005 भारत सरकार 2005 की धारा 6(3) से अन्तरित से जिलाधिकारी कार्यालय से आवेदन जिसमें देश के महामहिमो तथा माननीयों से सम्बन्धित है, जिसमे अगर जवाबदेही व् पारदर्शिता से सूचना उपलब्ध दी जाती है तो उजागर होगा |
  1. 1990 से भ्रष्ट्राचारो उत्पीड़नो शौषणों अपमानो तथा मानवीय संवेदनो में अकेले संघर्षो की दास्तान वन मन आर्मी की तरह |
  2. घीनोने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियो (आदिवासीयो ) के उत्पीड़नो वेदनाओं की सच्ची घटनाओं वेदनाओं का उजागर |
  3. देश में सबसे बड़ा भ्रष्ट्राचार एवं माननीय न्यायपालिका,पुलिस,प्रशासन,मीडिया की संवेदन विहीनता ह्रदय विहीनता को उजागर करेगा |
  4. यह भी स्पष्ट करेगा हम उस देश समाज में रहते है जहाँ व्यवहार तथा कार्यवाही अगले के स्टेट्स को देखकर किया जाता है | गरीबो तथा दलितों को इंसान नहीं पशु समझा जाता है |

आवेदक :- जसवन्त सिंह जंगपांगी
तहसील वार्ड डीडीहाट
नियर रोडवेज स्टेशन डीडीहाट
जनपद पिथौरागढ़

सेवा में
लोक सूचना अधिकारी महोदय (R.T.I.)
श्रीमान कलक्टर कार्यालय पिथौरागढ़
जनपद पिथौरागढ़ .

नोट:-शुल्क बतौर दस रुपया मात्र भारतीय पोस्टल आर्डर का उपयोग किया गया है |

विषय :- अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जातियो (आदिवासी) के अपमानो के शोषणों उत्पीड़नो एवं सामाजिक न्याय और अधिकारों में लम्बा संघर्ष आर्थिक एवं मानसिक रूप से व्यथित होने में एवं पुलिस प्रशासन,आयोगों,आयुक्तों में एवं माननीय न्यायालय में मुआवाजा क्षति पूर्ति कोट फीस माफ़ी या रियात अन्यो में व्यय में विशेष छुट के प्राविधानो में स्वयं तथा RTI की धारा 6(3) से अंतरिम से संबंधितो से जवाब देहि से पारदर्शिता से निश्चित अवधि में नियमानुसार सूचना उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में अनुरोध हेतु |

सूचना क्रमशः चार चरणों में मांगी जा रही है , सच्ची घटनाओं में मार्मिक दास्तनों का उल्लेख करते हुए | विवरणों की समीक्षा कर सूचना पारित की कृपा कि जाय | मांगी गयी सूचनाओ को प्रश्न बतौर एवं सूचनाओ को उत्तर स्वरूप टाइप कर उपलब्ध निम्न बिन्दुओ पर किया जाय |

बिंदु :-
  1. मै एक सजा याफ्ता हूँ L I C भ्रष्ट्राचार में संघर्ष करने मे केस न० 955 /00 4 धारा 352 ,353,452,504,506 वर्ष 2006 न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जूनियर डिविजन न्यायालय डीडीहाट जनपद-पिथौरागढ़ ऐतिहासिक जेल अल्मोड़ा छ: माह साधारण सजा, निर्दोष था तथा आर्थिक अभाव के चलते अपील नहीं किया था |
  2. R.T.I.अंतरिम माननीय विधि एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार द्वारा धारा 6(3) से, अंतरिम ,मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार तथा माननीय उत्तराखंड सूचना आयोग के सहयोग से सी० जी० एम्० सत्र न्यायालय पिथौरागढ़ द्वारा R.T.I . विभागीय अपील धारा 19 (2) में अपील का निस्तारण ने स्पस्ट किया की मुझे सजा सरासर अधिकारों का दुरूपयोग एवं न्यायिक प्रक्रियाओ का उल्लघंन था |
    मामले में विशेष जांच होनी चाहिए | तथा मुझे सजा मुक्ति के लिए क्या कार्यवाही करनी चाहिए , क्षति पूर्ति में मुवावजा देय होगा,स्वयं तथा महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार,सचिवालय,महामहिम राज्यपाल सचिवालय , उत्तराखंड शासन माननीय वित्त मंत्रालय, राष्ट्रीय अनुसुजित जन जाति आयोग,राष्ट्रीय विधी आयोग, पुलिस महानिदेशक कार्यालय उत्तराखंड ,मुख्य सचिव कार्यालय , राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण उत्तराखंड, पुलिस अधिक्षक पिथौरागढ़ ,जिला एवं सत्र न्यायालय पिथौरागढ़ से अंतरिम कर सूचना चाहिए | निम्न सूचनाओं को भी उपरोक्तो को अंतिरम से दिलाने की कृपा की जाय |
  3. महोदय एक सजा याफ्ता हूँ सजा को R.T.I. ने स्पष्ट किया था मुझे सजा गलत हुआ था | मैं जसवंत सिंह जंगपांगी 1990 से भ्रष्ट्राचारो उत्पीड़नो शौषणों एवं मानव अधिकारों तथा मानवीय संवेदनाओं में बिना किसी के सहयोग के वन मैन आर्मी की अकेला संघर्ष सविंधानिक जिम्मेदारियों का निर्वाह मै करता हूँ कई बेबस लाचारो के सामाजिक न्याय और अधिकारों में संघर्ष करने पर निम्न न्यायालयो से सर्वोच्च न्यायालय का सफर "देश के समस्त आयोगों, आयुक्तों का सामना, रिविजन में रिविजन स्टे ख़ारिज, तारिक मै तारिक फैसला कब " फैसलों मै वर्षो का इंतज़ार, सलाखों को सहा है | एक एक साक्ष्य मेरे ब्लाग (http://humancorruption.blogspot.in) मै है |जिसका अवलोकन समूचा विश्व कर रहा है | कई भ्रष्टाचारो का पर्दा फाश जिसमे माननीय न्यायपालिका भी अछूती नहीं है | me and right to information act सरकार को सूक्ष्म जाँच कर प्रोत्साहित करना चाहिए | सूचना चाहिए |
  4. में आरक्षण के दाएरे में आते हुए भी आरक्षण विहीन क्षेत्र नीरस व्यवसाय L.I.C. एजेंसी में आजीविका के लिए संघर्ष कर रहा था कठोर परिश्रम से एजेंसी संख्या 4490405 शाखा पिथौरागढ़ को उच्चस्तर दिया था | एजंसी की नियुक्ति 30 जुलाई 1988 में 1990 में हुयी मुझे स्थाई रूप से पिथौरागढ़ में रहना पड़ा जो विकास अधिकारी के क्षेत्र में नहीं आता था | L.I.C. अधिनियमों के अनुसार हर विकास अधिकारी का क्षेत्र निर्धारित रहता है , दुसरे के क्षेत्र में घुसपेठ करना बिमा अधिनियमों का उल्लघंन माना जाता है | पिथौरागढ़ में मेने दर्जनों जीवनों में बिमा व्यवसाय किया था विकास अधिकारी व्यवसाय से श्रेय हासिल करने के लिए व्यवसाय के प्रपोजलो को फाड़ते तथा नया तैयार करते फर्जी हस्ताक्षर से क्षेत्र परिवर्तन करते श्रेय हासिल करते जिसमे मेने एतराज किया | प्रबन्धन ने शीघ्र स्थानान्तरण का आश्वासन दिया था | स्थानान्तरण न होने पर मेने व्यवसाय करना छोड़ दिया , L.I.C. ने कमीशन के भुगतान में भी रोक लगा दी कारण जानने पर L.I.C. प्रबन्धन ने गम्भीर आरोप पालिसी धारको से पैसा हडपने का आरोप एजंसी स्थानान्तरण विकास अधिकारी से विवाद का उल्लेख , शाखा प्रबन्धक पिथौरागढ़ का 6.11 .1992 का पत्र जो R.T.I. से प्राप्त हुआ ,17.04 .1996 को L.I.C. सतर्कता द्वारा आरोप को बेबुनियाद करार करते हुए कमीशनों के भुगतान का आदेश पारित किया पत्र 2011 में R.T.I. से प्राप्त हुआ | कमीशन आज भी देय होता है 1990 से व्यवसाय न करने पर भी |सत्यता में सूचना चाहिए |
    L.I.C. अपनी लाज रखने के लिए एजंसी 4490405 जसवंत सिंह को अपने एजंसी अधिनियम के विरुद्ध कमीशन देती है | एजंसी में मात्र दो वर्ष व्यवसाय हुआ है | 1990 में कमीशनों के भुगतान में रोक लगा दी थी फिर मुफ्त में व्यवसाय करने का औचित्य नहीं रहता है सत्यता में सूचना चाहिए |
  5. L.I.C. द्वारा जानबूझकर वित्तीय कष्ट देनें के लिए आयकर टी० डी० एस० नहीं दिया जाता था ,1990 से जिससे 22 साल बाद 2012 में R.T.I. द्वारा दिया गया 22 सालो का TDS | जिसे माननीय आयकर आयुक्त, आयकर विभाग ने अपने सूचनाओं में स्पष्ट किया है,TDS समय से न देने में सरासर L.I.C. दोषी है आयकर अधिनियमों का उल्लघंन दंडनीय है जिसमे आयकर विभाग के प्राविधानो अधिनियमों के तहत L.I.C. को दंड राशी सहित TDS का भुगतान करना होगा जो आज तक नहीं किया गया है | सत्यता में सूचना चाहिए |
  6. L.I.C. प्रबन्धन घटिया हरकते नहीं करती अपने विकास अधिकारी के बचाव में तो आज एजेंसी 4490405 जसवंत सिंह जंगपांगी की आय करोडो में होती जो LIC एजेंसी में संभव है जो दलित समाज को संदेश देता आरक्षण विहीन क्षेत्रो में भी दलित कामयाबी हासिल कर सकता है |
    LIC ने आजीविका छिनी है सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल की है मुझे हर तरह से तबाह किया है , साजिसो से सजा दिलाया है | LIC के हर एक भ्रष्टाचार का पर्दाफास किया है RTI से 1990 से LIC के उत्पीड़नो शोषणों को सह रहा हूँ LIC के इतिहास में एक नया चेप्टर जोड़ा है आदिवासी ने , देश में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार LIC में व्याप्त है ,मुझे हुए आर्थिक मानसिक एवं सामाजिक क्षतिपूर्ति की भरपाई में "मैं भारतीय जीवन बीमा निगम भारत सरकार से पाँच (500) करोड़ मुआवजा की मांग कर्ता हूँ | विशेष जाँच कर मुझे मुआवजा दिया जाना चाहिए | सूचना की कृपा की जाय |
  7. मुझे साजिसो से सजा दिलाने वाले LIC अधिकारियों के भ्रष्टाचारो का पर्दाफाश उन्हें सजा कौन देगा
    () ए० ए० ओ० सुन्दर सिंह पांगती शाखा कार्यालय डीडीहाट जनपद पिथौरागढ़,नगर डीडीहाट तहसील वार्ड डीडीहाट में LIC से वित्तीय पोषित बहुमंजिली आवास के छत में AIR TEL मोबाइल कम्पनी का टावर लगा कर लाखो एडवांस हजारो रुपया मासिक किराया लेता है डेंजर जान 5 अति संवेदनशील भूकम्पीय दृष्टि से जंहा बहुमंजिली इमारतो का निर्माण वर्जित है जन सुरक्षा की दृष्टि से, मामले में निम्न सुचना चाहिए -
    (1) उपरोक्त का कृत्यज्ञ जनसुरक्षा अधिनियमों का, आयकर अधिनियमों का , मानवाधिकार एवं कर्मचारी आचार सहिंता का उल्लघंन है | उपरोक्तो पर विभागीय एवं कानूनी कार्य वाही की जानी चाहिये सूचना चाहिए,LIC प्रबंधन को सूचित करने की कार्यवाही नहीं की जाती है |
    (2) भविष्य में टावर से उत्पन्न रेडिएसन से पड़ोसियों स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है या किसी देवी आपदा से टावर से पड़ोसियों की जान माल की तबाही होती है उसकी जिम्मेदारी किस की समझी जायेगी | LIC,प्रशासन, नगर पंचायत , मोबाईल कम्पनी या ग्रह स्वामी की , सूचना चाहिए |
  8. डी० ओ० पुष्कर सिंह पांगती शाखा कार्यालय LIC डीडीहाट जनपद पिथौरागढ़ उत्तराखंड
    उपरोक्त फर्जी हस्ताक्षर बैंक एवं LIC में करके दुर्योधन सिंह दगडी पाल पुत्र रुकुम सिंह ग्राम पातू तहसील मुनस्यारी जनपद पिथौरागढ़ दुर्गम क्षेत्र निवासी है के नाम से डीडीहाट LIC में डमी एजंसी डमी जेनरेटर व्यवसाय वर्षो से चलता है , उपरोक्त वर्षो से डीडीहाट आता नहीं है उसके नाम से भुगतान डीडीहाट बैंक से किया जाता है जिसे LIC वर्षो से उसे लाखो का भुगतान करती है उसे आयकर दाता होना चाहिए था पर उसके पास बी० पी० एल० राशन कार्ड है | डी० ओ० कई और डमी एजंसिया फर्जी हस्ताक्षर से स्वयं तथा अन्य सरकारी विभाग के कर्मचारीयो से करता है , करोडो
    अचल सम्पतिया तहसील मुनस्यारी व् डीडीहाट में खरीद चूका है LIC प्रबन्धन का पूर्ण सहयोग उसे प्राप्त है | समस्त साक्ष्य LIC प्रबन्धन में दिए जाने में कार्यवाही की जाती है मामले में सुचना निम्न बिन्दुओ में चाहिए -
    () डी० ओ० पुष्कर सिंह पांगती की दुर्योधन सिंह दगडी पाल तथा LIC प्रबन्धन के खिलाफ विशेष जाँच तथा अपराधी मामले दर्ज होने चाहिए सूचना चाहिये उपरोक्त समस्त मामलो में माननीय राष्ट्रीय सतर्कता आयोग wo dy 355 220/113 110225 दिनांक 9 .11 .2011 , में माननीय cvc के आदेश ने cvc .LIC सेन्ट्रल कार्यालय मुंबई (महाराष्ट्रा )को जाँच एवं कार्यवाही पर cvc lic ने क्या कार्यवाही की है सुचना चाहिये |
  9. भारतीय जीवन बीमा निगम भारत सरकार अपने विभागीय प्रमोशन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करती है | अन्यो के लिए आवश्यकता नहीं समझी जाती है , उपरोक्तो को मंद बुद्धी दक्षता निपूर्णता की कमी मानकर | सत्यता में सुचना चाहिए |
    () उपरोक्त व्यवहार भारत सरकार तथा राज्य सरकार के सभी संस्थानों में लागू है , अंतरिम से सूचना चाहिए |
    () उपरोक्त मंद बुद्धी तथा दक्षता निपूर्णता में निर्बल होते है , क्या बुद्धी दक्षता एवं निपूर्णता जात धर्म क्षेत्र पर निर्भर करती है ? सूचना चाहिये |
    () भेद भाव की निति अपनाकर LIC दलितों को अपमानित कर रही है | क्या भारतीय संविधान LIC को दलितों का अपमान का अधिकार देती है सूचना चाहिए |
    () LIC दलित एजेंटो को भी विशेष प्रशिक्षण देती है 4490405 एजंसी जसवंत सिंह जंगपांगी ने LIC के इतिहास में एक नया चेप्टर जोडा है | LIC अगर घटिया हरकते नहीं करती तो "आदिवासी देश के टॉप एजेंटो में होता मुंबई में होता एजेंट एक वर्ष में करोडो कम सकती है क्या आदिवासी नहीं कमाँ सकता है सुचना चाहिए |
  10. देश में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार LIC में व्याप्त है नारी जीवन से शर्मनाक सवाल पूछकर बिमा स्वीकृति की जटिलता मात्र दिखावा है | जंहा संविधानिक कानूनों बिमा अधिनियमों का खुले आम धज्जिया उड़ाई जाती है | फर्जी हस्ताक्षर गैर कानूनी नहीं ग्राहक सेवा समझी जाती है | फर्जी मेडिकल डमी एजंसी , डमी एजंसी परीक्षा रेबेट तथा बोगस पालिसी ,डमी पालिसी का पर्दा फास किया है मेने | आदिवासी ने राष्ट्र तथा समाज हित में एजेंसी (डमी) 10320 शाखा डीडीहाट से तथा RTI से सत्यता में सुचना चाहिए |
    द्वितीय चरण RTI आवेदन

मात्र 5 हजार के आभाव में " अनुसूचित जाती का परिवार तबाह घर सामानों की नीलामी पत्ती को सजा फिर मृत्यु 1999 में , श्रीमती जयंती देवी पत्नी स्व - नाथू राम पुत्र रतन राम नई बस्ती डीडीहाट जनपद पिथौरागढ़ का उसका पत्ती , नगर पंचायत के गैर कानूनी हरकतों के चलते माननीय न्यायालय में जमानती मात्र था शातिर अपराधी नहीं |पैसे थे दलित महिला के पास कई घरो में मेहरी का काम कर वर्षो का पाई पाई जोड़ कर जिला सहकारी बैंक डीडी हाट में 1999 से पूर्व पांच हजार फिक्स डिपोजिट किया था | रसीद महान भाजपा नेत्री आयकर दाता सभासद श्रीमती सुधा जोशी के पास रखे थे जिसके घर में वर्षो से मेहरी का काम करती ठी जयंती देवी | २६ अगस्त 1999 में रसीद की मांग करने पर सडक में घसीट घसीट कर पिता गया पत्ती-पत्नी को बैंक में बिना रशीद जाने पर धक्के मारकर बहार किये गये तेरा बैंक में एक पैसा नहीं है ,तू सब पैसा निकाल चुकी है अपमानित कर शाखा प्रबन्धक आर के बंसल ने धक्के मार कर अपमानित कर बेंक से बाहर किया | पेसो के अभाव में दलित परिवार तबाह अंगूलियो के निशान लेकर भी पुलिस ने राजनिति क दवाब में कार्यवाही ठंडे बस्ते मै अखबारों की सुर्खिया भी 1999 में पैसा नही दिला सकी | दलित परिवार से भावनात्मक सहयोग तथा सामाजिक और अधिकारों में मार्गदर्शन करने पर मेनें निम्न अदालत से लेकर देश के सबसे बड़े अदालत का सफर रिविजन में रिविजन फर्जी मुकद्दमो में स्थगन ख़ारिज, मानहानि में वर्षो फैसलों का इन्तजार 40 दिन सलाखों में रहकर सहने पर निर्दोष साबित हुआ हूँ | तारिक पर तारिक फैसला कब फ़िल्मी डायलाग से रूबरू हुआ हूँ | आयोगों आयुक्तों न्यालयो तथा जांचो का सामना किया है चोदह वर्षो तक | अहसास हुआ है गरीब बेबस लाचारो तथा दलितों को इन्साफ से वंचित रखती है जाँच एजंसिया, जो राजनीति तथा रिश्वत के इशारे से चलती है | देश में सबसे भ्रष्ट है पुलिस मेरे संघर्षों ने साबित किया हिया इमानदारी जाँच पर निर्भर नहीं करती है |
अनुसूचित जाति के महिला को माननीय आयोगो ,आयुक्तों तथा प्राधिकरण के हर न्यायिक प्रयासों को विफल कर दिया गया पुलिस के गलत जाँच आख्याओ ने | माननीय राष्ट्रिय विधिक सेवा प्राधिकरण सुप्रीमकोर्ट के प्रयासों से अनुसूचित जाति महिला के सामाजिक न्याय और अधिकार के लिए जूनियर डिविजन न्यायालय डीडीहाट में केस संख्या 847/006 जयंती देवी बनाम सुधा जोशी पंजीकृत हुआ जिसे वापस ले लिया नि:शुल्क विधिक सेवा के वकील न्यायिक मजिस्ट्रेट के पेशकार ने | ह्रदय विहीन संवेदन विहीन क्षेत्र में कोई सहयोगी नहीं में अल्मोड़ा जेल में था | एक राष्ट्रिय प्रयास को नेस्तनाबूत कर दिया अराजकतत्वो ने तथा न्यायपालिका से जुड़े लोगो ने | 26 ऑगस्ट 1999 में दलित परिवार को न्यायालय में जमानत राशी मात्र पांच हजार रुपयों की आवशयक्ता ठी जिसका समाधान पुलिस बैंक , महान सामाज सेविका भाजपा नेत्री कर सकती थी | लेकी अपने अपराध पर परदा डालने के लिए धन बल राजनीति तथा गुंडों का सहारा माननीय न्यायालय के खामियों का भर पुर उपयोग कुचलने तबाह करने पर अँधा होकर उतर आया था जोशी परिवार |
एक बार नहीं कई बार बिकी ठी पुलिस तथा प्रशाशन दलित के दर्दो को नजर अंदाज करके | पोइस तथा सुधा जोशी पत्नी बी डी जोशी स्वीकार कर चुके थे रशीद सुधा जोशी के पास ही थी 26 ऑगस्ट 1999 में रशीद देने में संकोज क्यों ? 2001 शपथ से भुगतान जिला सहकारी बैंक डीडीहाट ने 2013 में RTI में स्पष्ट किया है |
लोक तंत्र का अजूबा केस 243/006 धारा 499.500 IPC , सुधा जोशी बनाम जसवंत सिंह जंगपांगी में माननीय लोक आयुक्त के नाम का गलत उपयोग कर पंजीकृत मामला फर्जी गवाहियो के सहारे साबित करने का प्रयास, आयकर दाता राजनीति कठ काठी , सामाजिक प्रतिष्ठा से परिपूर्ण स्टेट्स का उपयोग | मामले में मेंने स्वयं अपनी पेरवी की | जघन्य अपराधियों को चाहिए काबिल वकील, निस्वार्थ सच्चे इंसान को नहीं व वर्षो तारिक में तारिक फेसला कब ? सलाखों को सहा फिर निर्दोष साबित हुआ हूँ |
26 अगस्त 1999 में सुधा जोशी,पुलिस बैंक थोड़ी भी मानवता की दृष्टि रखते तो अनुसूचित जाति परिवार तबाह नहीं होता अनुसूचित जाति महिला सुहागन होती अल्प आयु में विधवा नहीं | बहसी दरिंदो के तरह पीट डाला पति पत्नी को जोशी परिवार ने | उसी बस्ती के धनि राम माँगा राम ने पांच हजार माननीय न्यायालय में जमा किया, सजा से बच गया | आज वह सुख माय जीवन जी रहा है BSF में तैनात है |
1999 में बैंक पैसा देती तो आज दलित महिला सुहागन होती विधवा नहीं उसका पत्ती न्यायालय में जमानती मात्र था , नगर पंचायत द्वारा वनभूमि में अवेध रूप से रह रहे अनुसूचित जातियों की हजारो की हैसियत का प्रमाण पत्र बना डाला नगर पंचायत डीडीहाट ने अराजक तत्वों से मोटी रकम लेकर फिर तिब्बती अभियुक्तों की जमानत की गयी | फर्जी हैसियत को माननीय जिला न्यायालय में चुनोती दी गयी | चीयर मैन , कर्मचारी नगर पंचायत डीडीहाट न्यायालय में तलब हुए पर बख्स दिए गए पर नही बख्सा किसी ने दलितों को | पांच हजार आभाव में नाथू राम को छह माह सजा आत्म गलानी से जेल में गंभीर बीमार पद गया घर भेज दिया गया, वर्ष 2001 में मृत्यु हो गयी |
26 अगस्त 1999 में तेरा एक पैसा नहीं अहि तू सब निकाल चुकी है कहकर बैंक से बाहर निकाल दिया था | 2001 में बेंक ने शपथ पत्र से दस हजार से ज्यादा भुगतान किया रशीद सुधा जोशी के पास ,दलित महिला कैसे पैसा निकालती, रशीद से पैसा 1999 में बैंक से मिलकर सुधा जोशी निकाल चुकी ठिया मामला थाना डीडीहाट , फिर पुलिस उपाधीक्षक पी० एस० सांगा के पास पहुचा दलित महिला के अंगुली के निशान लिए गए अखबारों की सुर्खिया बनी | 1999 से आजतक रिपोर्ट दर्ज नही हुआ राष्ट्रिय महिला आयोग लोक आयुक्त अनुसूचित जनजाति आयुक्त में पुलिस की गलत जाँच रिपोर्ट ने रिविजन में रिविजन फर्जी मुक्कदमें में स्टे ख़ारिज मानहानि में मुक्कदमा सलाखों में फिर निर्दोष |

  1. उपरोक्त सब में विशेष चांज कर दलित परिवार को हुए क्षति पूर्ति की भरपाई उत्तराखंड सरकार पुलिस सुधा जोशी तथा बैंक से की जानी चाहिए | तथा दोषियों पर अपराधिक मामला पंजीकृत होना चाहिए तथा अंतरिम से सूचना उपलब्ध कराने की कृपा की जाय |
  2. फर्जी मुक़दमा फर्जी मानहानि से मेरे जीवन के चोदह साल बर्बाद हुए है मानवीय संवेदनाओं में अपने सांविधानिक जिम्मेदारियों का साविधानिक तरीके से निर्वाह करने पर मेरे कई कार्य बाधित हुए है | विशेष जांच कर दोषियों से क्षति पूर्ति की जानी चाहिए अंतरिम से सूचना चाहिए
  3. जनपद के सबसे बड़े फर्मेंसी की मालकिन आयकर दाता भाजपा नेत्री आयकर दाता सभासद कर्मचारी नेता की पत्नी सभासद नगर पंचायत डीडीहाट, उपरोक्त स्टेट्स का उपयोग किया गया था मा लोक केस० 2431006 धारा 499500 IPC सुधा जोशी बनाम जसवंत सिंह में | आयकर देना राष्ट्रहित में नेक कार्य हो सकता है किसी राजनितिक पार्टी में होना देश समाज की सेवा का प्रतीक होता है, सो दोसो आयकर देकर सभासद रहते हुये बिना निर्माण के 16000 /- हजार का शुलभ शौचालय अनुदान गिरीश जोशी पुत्र बी डी जोशी के नाम नगर पंचायत से लेकर घर की सुरक्षा में माननीय सांसद विधायक निधिकोषो से ,देवी आपदा कोष से दिवार नाली का निर्माण वही राजमार्ग में पक्के दुकानों का निर्माण कर डाला है महान भाजपा नेत्री ने RTI से पर्दाफास चांज कर उपरोक्त पर अपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए | अंतरिम से सूचना चाहिए |
तृतीय चरण में RTI आवेदन

बी0 पी0 एल0 आदिवासी वृद्धा महिला श्रीमती कौशल्या देवी टोलिया पत्नी स्व श्री भवान सिंह टोलिया तह्सील वार्ड डीडीहाट जनपद पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड अपने सामाजिक न्याय और अधिकार में संघर्ष आर्थिक मानसिक रूप से व्यथित, माननीय न्यायालय द्वारा 98000 (नब्बे हजार) कोर्ट फीस की मांग , फ़ीस जैम न कर सकने पर केस ख़ारिज सामाजिक न्याय और अधिकार से वंचित बी0 पी0 एल 0 अपरिवर अपने सामाजिक न्याय और अधिकारों में संघर्ष में जीवन में पहली baar पहाड़ो से मैदानों में उतरी | पहली बबर रेल में बैठी हरिद्वार में नहाई पहली बार मैदानों को तथा देहरादून नैनीताल को देखा |
  • संवेदन विहीन क्षेत्र में कोई भावनात्मक सहयोगी नहीं, तीन पुत्रो की माँ तीस साल से विधवा का जीवन बसर कर रही थी मुश्किलों से पाला पुत्रो को, एक हेड मास्टर दूसरा दस नम्बरी दोनों ने नाता तोड़ दिया था माँ से | माँ वर्षो से तीसरे बेरोजगार पुत्र के साथ मेहनत मजदूरी करके गुजर बसर करती थी |
  • 1960 से पूर्व से रोडवेज स्टेशन डीडीहाट किमी 315 राजमार्ग ओगला थल के समीप एक आशियाना पति पत्नी ने मुश्किलों से बनाया था | वर्ष 2009 में रोडवेज स्टेशन में सार्वजनिक शौचालय था | जो भगत सिंह टोलिया भगवान् सिंह टोलिया,लक्ष्मन सिंह टोलिया , होशियार सिंह टोलिया , सूर्य मान्टेसरी स्कूल के आगे था , पेशाब घर लक्ष्मन राम के आगे था | तहसील को जाने वाला पैदल रास्ता सूर्य मांटेसरी स्कूल के बीच से जाता था | उपरोक्त सब को जीर्ण शीर्ण घोषित कर ध्वस्त कर दिया गया तथा नया निर्माण वृद्धा के घर के आगे कर दिया गया, बहुत गिडगिडयी वृद्धा हाथ जोड़कर अनुरोध किया हमारे आगे शौचालय पेशाब घर न बनाया जाय , माननीय विधायक जी आग बबूला होकर वृद्धा पर चिल्लाये विधायक जी कहा यही बनेगा और बनाकर दिखा दिया |
  • वृद्धा के दो बड़े पुत्रो ने पक्का निर्माण कर वृद्धा का शौचालय तथा पानी का रास्ता बंद कर दिया, व्यथित होकर दुसरो के घर में रह कर अपने सामाजिक और अधिकारों में संघर्ष करने लगी |
  • में उनके लिए संघर्ष करता हूँ जो असहाय निर्बल तथा सहयोगियों के आभाव में रहते है |
  • वृद्धा के घर के आगे नव-निर्माण श्रीमान कलक्टर के आदेशो की अवमानना, सरकारी धन का दुरूपयोग गैर कानूनी रोडलैंड एक्ट कानून का उल्लघंन लो0 निर्माण विभाग के नोटिसो की अवहेलना, बिना NOC के निर्माण था ,RTI से पर्दा फास |
  • नगर पंचायत को किसी निर्माण को जीर्ण-शीर्ण घोषित करने का कोई विधिक अधिकार नहीं है RTI | नगर पंचायत पर भी रोडलैंड कंट्रोल एक्ट प्रभावी होता है , सबका पर्दा फास RTI से किया गया |
  • उत्तराखंड सूचना आयोग, लोक आयुक्त , अनुसूचित जनजाति आयोग माननीय हाईकोर्ट जूनियर डीविजन न्यायलय में संघर्ष , दर्जनों बार मेने उपरोक्तो के समक्ष जिला तहसील प्रशासन तथा नगर पंचायत सबका सामना मेने किया लाखो में राजस्व बर्बाद हुआ, वृद्धा आदिवासी को इन्साफ नहीं मिला हताशा निराशा से वृद्धा का देहांत हो गया |

संघर्ष आज भी बरक़रार है , जिसका बीड़ा उठाया है वृद्धा के सबसे छोटे पुत्र कैलाश सिंह टोलिया पुत्र भवान सिंह ने जो एक बी0 पी0 एल0 और बेरोजगार है , जिसको मेरा नैतिक सहयोग बरकार है वह भी अपने माँ की तरह अपने भाइयो से शौचालय तथा पानी से पैत्रिक अधिकारों से पीड़ित है उसके परिवार को आज भी शौचालय तथा पानी के लिए सौ दौ सौ मीटर घूम कर दुसरे घरो से शौचालय तथा पानी का सफर तय करना पड़ता है जबकि पूर्व में दो कदम में उपरोक्त शाधन उपलब्ध था |
नगर पंचायत डीडीहाट चातार्युता कुटिलता से अपने अपराधो पर पर्दा डालने का भरपूर प्रयास कर रहा है |
श्रीमान जिलाधिकारी के चांज आदेश में स्पस्ट हो गया है पूर्व में तहसील को जाने वाला पैदल मार्ग सूर्य माउंटेन्स री स्कूल के बीच से जाता था | जिसे नगर पंचायत ने बंद कर नया उपरोक्त के घर के आगे से बना दिया है | उपरोक्त परिवार के नाम भूमि तहसील रिकार्ड में अंकित हो चूका है , पूर्व में तहसिल ने स्पस्ट किया था भूमि नाम से अंकित नहीं है |
  • पडोसी लक्ष्मन राम के घर से पेशाब घर हटाकर उसकी निजी दुकाने बना दी गयी है वर्ष 2009 में पेशाब घर ध्वस्त करने में नगर पंचायत की पुलिस कार्यवाही फर्जी साबित हो गयी है , आज तक कार्यवाही नहीं RTI से पर्दाफास |
  • हर किसी ने कुचला आदिवासी निर्बल परिवार को , दलितों ने भी , उपरोक्त समस्त का समीक्षा कर जवाब देहि से अंतरिम पारदर्शिता से सूचना उपलब्ध करने की कृपा करे |
  1. अतिगरीब बी०पी०एल० आदिवासी परिवार को कोर्ट फीस में माफ़ी या सहयोग का प्राविधान है भारत सरकार या राज्य सरकार में सूचना की कृपा की जाय |
  2. उपरोक्त के भाइयो द्वारा शौचालय तथा पानी के अधिकार से पैत्रिक सम्पति से वंचित रखने में चांज तथा कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए सूचना चाहिए |
  3. उपरोक्त समस्त मामलो में विशेष चांज कर दोषियों पर अपराधिक मामला पंजीकृत होना चाहिए |
  4. आदिवासी परिवार को हुए आर्थिक मानसिक क्षति की भरपायी की जानी चाहिए सूचना चाहिए |

चतुर्थ चरण में
(1)

विलोपन के कगार पर दुर्लभ आदिवासी(वन रोत ) जिनका देश में निम्न संख्या,जन संख्या प्रतिदिन घटी जा रही है जिनका आपराधिक इतिहास निम्न हो | जो कुपोषण अल्प आयु अशिक्षा के शिकार आज भी आदम स्थति में है | सभ्य समाज तथा उनके कानूनों से भयभीत ,उनके संरक्षण के नाम स्वयं सेवी संस्थाये तथा सरकारी संस्थानों ने करोडो रूपये फूंक डाले "राज्य सरकार द्वारा परिवार नियोजन से दुर्लभ आदिवासियों को मुक्त कर दिया है | घटती जनसंख्या के चलते | सभ्य समाज का उनके आशियाने में दखल अंदाजी जिनका उपयोग सभ्य समाज राजीनीति में तथा कमाई में करता है | उनके सामाजिक न्याय और अधिकारों में बोलने वाला कोई नहीं एनी अनुसूचित जन जातियों के अपेक्षा सरकारी संस्थानों में भागीदारी नगण्य है |
उपरोक्त वनरोत आदिवासी अपर कानूनी शिकंजा नाबालिग होते हुए भी आजीवन कारावास हर न्यायिक प्रक्रिया व्यस्को की तरह,सजा भी काट रहे है 2005 से व्यस्क केदियो के साथ हरिद्वार जिला जेल उत्तराखंड में | जमानत , अपील तथा पेरोल दूर की बाते है मिलने तक जेल में 2005 से आज तक कोई अपना कोई नहीं, आर्थिक अज्ञानता तथा कानून का भय, माँ बाप को हिम्मत नहीं , समाज सेवको एवं स्वयं सेवी संस्थानो का सहयोग का अभाव वारदात के समय 2005 में गगन सिंह जीत सिंह जगत सिंह मोहन सिंह ग्राम परिवार रजीस्टर तथा स्कूल रिकार्ड के अनुसार नाबालिग था |
पुलिस थाना अस्कोट तहसील डीडीहाट जनपद पिथौरागढ़ ने उपरोक्तो के के0स० -66\105 धारा में 18-19 वर्ष का घोषित कर 2005 में न्यायिक हिरासत में लिया | माननीय जिला जज सत्र न्यायालय जनपद पिथौरागढ़ द्वारा आजीवन कारावास 25-25 हजार आर्थिक दंड तब से हरिद्वार जेल में व्यस्को के साथ सजा काट रहै है |
न्यायिक हिरासत में रहते हुए असभ्य आदिवासियों ने सभ्य समाज के बंदी कैदियों के साथ रहते हुए बहुत कुछ सीखा है , न्यायिक प्रक्रियाओ को जाना है केदियो बंदियों के मौलिक अधिकारों को जाना है | अपने समुदाय में उपरोक्त ही पहले आदिवासी है जिन्होंने पहली बार जघन्य अपराधो का सामना यातना तथा हर न्यायिक प्रक्रियायो का सामना किया है | कई न्यायिक मजिस्ट्रेटो एवं माननीय जजों से चांज अधिकारियों तथा जेल अधिकारियों अधिवक्ताओ से रूबरू हुए है | किसी को तनिक तो ख्याल आया होता " ये तो नाबालिग है " जो आज भी नाबालिग लगते है | वारदात के समय 12 – 14 साल ग्राम सभा रजिस्टर में तथा स्कूल रिकार्ड में |
  • महामहिम राज्य पाल के चांज आदेश संख्या 4297 जी.एस0 C-122 2010 में गृह सचिव उत्तराखंड आदेश पर ग्राम प्रधान ग्राम वासियों के बयान रिकार्डो के चांज पड़ताल ने उपरोक्त आयु की पुष्टि की गयी है |
  • वर्ष 2010 में परिवार रजि0 के नकल के आधार पर अपील माननीय हाईकोर्ट नैनीताल द्वारा ख़ारिज |
  • वर्ष 2009 में नाबालिगो ने हरिद्वार जेल से कक्षा 5 पास किया उम्र का आकलन 19-20 साल यानी वारदात के समय उपरोक्त 18 वर्ष से कम उम्र के थे |
  • नाबालिग जेल से पत्र लिखते है घर वालो को नैनीताल जाओ पुष्पा जोशी को वकील रखो हमारा मेडिकल परीक्षण सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज से कराओ हम नाबालिग साबित हो जायेंगे हमने हत्या भी नहीं किया है | हमारे एक साथी ने ऐसा है किया रिहा हो गया ये तभी सम्भव हप सकता है जब आर्थिक मजबूती जागरूकता तथा सहयोग हो |
    उपरोक्त समस्त पर समीक्षा कर स्वयं तथा संबंधितो को अंतरिम कर जवाब देहि से सूचना निम्न बिन्दुओं में चाहिये -
  1. नाबालिगो को आजीवन कारावास हर न्यायिक प्रक्रिया को व्यस्को की तरह चलाना व्यसको के साथ सजा सरासर न्यायिक प्रणाली का तथा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लघन है सूचना चाहिए |
  2. उपरोक्त मामले में दोषी किसको समझा जाय पुलिस न्यायपालिका समाज, स्वयं सेवी संस्था या मीडिया को सूचना चाहिए |
  3. मामले में विशेष चांज होनी चाहिए मेडिकल परीक्षण मुक्ति दिला सकती है अति गरीब बी0पी0एल0 आदिवासी को , आदिवासियों के लिए मुफ्त न्यायिक मेडिकल परीक्षण का प्राविधान है सूचना चाहिये |
  4. महामहिम राज्य पाल के आदेश पर नाबालिग न होने के सबन्ध में सुचन चाहिए |
  5. जिला कार्यालय पिथौरागढ़ अ\उप्जिलादाहिकारी द्वारा महामहिम राज्य पाल के जांच आदेश की रिकार्ड को 2013 RTI में उपलब्ध नहीं है कहना गैर जिम्मेदाराना तथा झूठी सूचना समझी जाय, सूचना चाहिए |
(2)
आदिवासी मान सिंह रजवार पुत्र इंद्र सिंह ग्राम किमतोली जमतडी थाना अस्कोट वर्ष 2007 से जौलजीबी पुलिस हिरासत से लापता के0 0 99/07 धारा 290 /291 दिनांक 10.07.2007 को पत्नी कौशल्या देवी द्वारा दिनांक 13.7.2007 को अज्ञात पुलिस वालो के खिलाफ F.R. पंजीकृत मामले की फ़ाइनल रिपोर्ट माननीय न्यायालय में प्रस्तुती की तथा जमानत की कोई सूचना नहीं है R.T.I. से |

महामहिम राज्यपाल से शिकायत 2010 में ,राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में 6 सितम्बर 2011 में प्राधिकरण में उपस्थित होकर बयान तथा दर्जन भर ग्राम वासियों का लिखित बयान अन्य विवरण प्राधिकरण में प्रस्तुत किया गया आजतक प्राधिकरण में निस्तारण नहीं |

लोक सूचना अधिकारी, पुलिस अधीक्षक द्वारा अंतरिम RTI दिनांक 14.2.2012. एवं 1.5.2012. प्राप्त हुआ है | उपरोक्तो में जांच पुलिस उपाधीक्षक डीडी हाट द्वारा किया गया है जो झूठी, बचाव वाली अधूरी तथा पारदर्शिता विहीन है जसवंत सिंह केस 243/006 से फरार है गिरफ्तारी से बचने के लिए शराबी सजा याफ्ता उसकी छवि धूमिल है शरारती है |
  • मानसिंह को जौलजीबी थाने से जमानत दे दी गयी थी जमानतियो का उल्लेख नहीं किया गया अभियुक्त फरार है तो जमानतियो पर न्यायालय ने क्या कार्य वाही की |
  • मानसिंह पुत्र इंद्र सिंह को माननीय न्यायालय द्वारा बेकसूर घोषित कर दिया गया है |
  • मान सिंह की पत्नी ने पत्र लिखा है मुझे पति के लापता होने में पुलिस से अब शिकायत नहीं है थाने के रिकार्ड से जांच की गयी है जो अधूरी एक तरफा पारदर्शिता विहीन गैर जिम्मेदारानावाला जांच था |

हा में एक सजा याफ्ता हूँ पुलिस के फर्जी मुकद्दमे के चलते पुलिस के गैर जिम्मेदाराना व्यवहारों के चलते बेबस लाचार अनुसूचित जाती महिला के सामाजिक न्याय तथा अधिकारों में मार्ग दर्शन करने में 1999 /2000 में पंजीकृत में रिविजन में रिविजन दोष मुक्त हुआ हूँ |
केस 243 /006 भी पुलिस के घटिया हरकतों से दर्ज हुआ था पुलिस में,बैंक तथा सुधा जोशी में थोड़ी नैतिकता होती तो दलित नारी जयंती देवी पत्नी स्व नाथू राम को 26 अगस्त 1999 में न्याय मिल जाता में 14 साल तक न्यायिक प्रक्रियाओं का सामना नहीं करता उपरोक्त के घटिया हरकतों के चलते मेरे जीवन के चौदह साल बर्बाद हुआ है |

केस 243/006 में फेसला 2009 में मिल जाना था तारिक में तारिक दी जाती फैसला कब 2012 अक्टूबर से मेने तारीको में जाना छोड़ दिया | जनवरी 2012 में खुलकर चुनाव परचार किया वोट दिया पुलिस के सामने 3 फरवरी 2012 को अपने को पुलिस उपाधीक्षक के सामने अपने को न्यायलय में समर्पित किया स्पष्ट कहा मुझे फेसला चाहिये राहत नहीं | जमानत नहीं लूँगा जेल चला गया | 40 दिन सलाखों में पुलिस हथकड़ी से पिथौरागढ़ डीडी हाट रोड सो क्योकि में विधायक हरीश धामी माफिया, काशी सिंह बुधियाल माफिया नहिओ था जिसे पुलिस VIP सुविधा अस्पतालों निजी वाहनों घर के खाने की सुविधा देती है बिना हथकड़ी के देती है | मात्र फेसला देने में 40 दिन सलाखों में रखते है न्यायिक मजिस्ट्रेट तब भी तारिक देते है जज अवकाश में होते है | बंदी गृह में वकील भेज कर कन्फेसन करने का प्रयास किया जाता है बेबस होकर 13 मार्च 2013 को फेसला देने पर मजबूर निर्दोष साबित लगाये गये आरोप बेबुनियाद | सच्चा समाज सेवक मानवीय संवेदनाओं में समाज एवं राष्ट्रहित में प्राणों की आहुतिया देते है सलाखे जेलों की प्रवाह नहीं करते है , सजा सलाखे किसी को भी हो सकती है क्योकि देश तथा कानून से आगे कोई नहीं है | में शराब पिता हूँ एडिक्ट नहीं हूँ किसी मेडिकल साइंस ने मुझे शराबी घोषित नहीं किया है | पुलिस उपाधीक्षक की तरह अवैध शराब का धंधा अपने कार्यालय के समीप न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायालय के सामने तहसील परिसर के समीप पुष्कर सिंह से खुले आम करा कर हफ्ता नहीं वसूलता हूँ राष्ट्रीय पर्व , चुनाव में जहा ठेके बंद रहते है , पुष्कर सिंह का अवैध शराब का धन्धा खुला रहता है | पुलिस उपाधीक्षक की मेहरबानी से | बी०पी०एल० राशनकार्ड वाले पुष्कर सिंह ने तहसील परिसर में लाखों रुपयों में अनुसूचित जाति के कई मकानों को खरीदा है बैंक, बीमा में लाखों में निवेश | आवश्यकता है पुलिस उपाधीक्षक की विशेष जांच की अपने छवि का ख्याल रखना चाहिए पुलिस उपाधीक्षक को | मेरे मानवीय संवेदनाओं तथा भ्रष्टाचारो,उत्पीड़नो का एक एक साक्ष्य मेर Blag में है जिसका अव्लोअकं समूचा संसार कर रहा है | दुनिया मुझे RTI एक्टविस्ट गरीबो के मसीहा के नाम से भी जानती है | अमानवीय है पुलिस द्वारा समाज सेवको के सहयोग से लाचार अतिगरीब आदिवासी महिला को डरा धमका करा न्यायालय न जाने देना बेंक में लाखों FD पत्नी बच्चो के नाम अस्कोट में अधिकारों के दुरुपयोग से फर्जी जमानत न्यायालय से महफूज दिखाना भविष्य कानून कानून का भय आदिवासी परिवार की जमीन घर भी कानून जब्त का देगा तब पूर्ण रूप से तबाह हो जायेगी अनाथ बच्चो की बेबस लाचार आदिवासी माँ बैंक में किसने क्यों जैम किया पैसा पुलिस की गलत जांच, माननीय राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण का 2010 मसे निस्तारण न करने में समीक्षा कर स्वयं तथा अंतरिम से सूचना उपलब्ध की कृपा निम्न बिन्दुओं में की जाय |
  1. उपरोक्त समस्त मामले में विशेष जांच कर आदिवासी महिला को समाजिक न्याय और अधिकार मिलना चाहिये, सूचना चाहिये |
  2. पुलिस अधीक्षक , उपाधीक्षक की जांच को अधूरी जवाब देहि वाली एक तरफा विवेक हिन् जवाबदेही पारदर्शिता विहीन झूठी गुमराह करने वाली गैर कानूनी गैर जिम्मेदाराना वाली समझा जाना चाहिये |सूचना चाहिये |
  3. बेंक पुलिस जी डी जमानती ग्राम वासियों के बयान तथा पीडिता को विश्वास देकर विशेष जांच,आदिवासी महिला को मुआवजा दिया जाना चाहिए, सूचना चाहिए |
  4. माननीय राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण द्वारा मामला निस्तारण में विलम्भ की वजह तथा फेसले में पीडिता तथा शिकायतकर्ता का प्राधिकरण में उपस्थित रहना विधि संगत कहा जा सकता है , सूचना चाहिए |
  5. माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जूनियर डीडीविजन न्यायालय डीडीहाट द्वारा केस संख्या 243/006 40 दिन सलाखों में रखना जिसमे समस्त न्यायायिक प्रक्रिया 2009 में पूर्ण हो गया था फेसला मात्र देना था 2011 में पुन:बहस की गयी थी फिर भी फेसला देने में विलम्भ अदिकारो का दुरूपयोग न्यायिक प्रणालियों का उल्घन्न कहा जाय सूचना चाहिए |
  6. मुझे तब की तारिक दी जाती जब मजिस्ट्रेट अवकाश में होते थे , वकील को बंदीग्रह भेजकर कनफेस करने पर बेबस करना उपरोक्त माननीय न्यायालय के गरीमा को धूमिल करना निंदनीय कहा जाय | सूचना चाहिए |

जसवंत सिंह जंगपांगी

आवेदन माननीय CIC एवं माननीय उत्तराखण्ड सुचना आयोग को पृष्ठांकित है |

RTI शुल्क बतौर भारतीय पोस्टल आर्डर 10 रु 05F161551 सलग्न है |
आदर से.

जसवंत सिंह जंगपांगी