Thursday 27 June 2013

केन्द्रीय सूचना आयोग भारत सरकार


आवेदक- जसवंत सिंह जंगपांगी दिनांक …27 /06 /2013
तहसील वार्ड डीडीहाट
जनपद – पिथौरागढ़
उत्तराखंड

सेवा में
माननीय मुख्य अयुक्त महोदय
केन्द्रीय सूचना आयोग भारत सरकार
नई दिल्ली

विषय - LIC भ्रष्टाचारो शोषण उत्पीडन एवं दलितों के अपमान जैसे घ्रणित कार्य शेलियो तथा अपने भ्रष्ट अफसरों के बचाव
में मांगी गयी सुचनाओं को सूचना के अंतर्गत नहीं आता है कह के सूचनाओ से वंचित रखना तथा RTI धारा 6(3) से अंतरित कर सूचना उपलब्ध न करने में मार्ग दर्शन चाहने बावत |

माननीय
  • 5.5.2013में RTI के तहत LIC से सूचना हेतु दो चरणों में आवेदन किया था |
  • समस्त सूचना भ्रष्टाचार एवं मानव अधिकारों के उल्लघन से सम्बंधित थे |
  • उपरोक्त समस्त बिन्दुओ को निरर्थक बता कर तथा RTI की धारा 2 (F ) का उल्लघन बताकर सूचनाओं से वंचित किया गया दिनांक 18.6.2013 को मंडल कार्यालय LIC हल्द्वानी जनपद नैनीताल उत्तराखंड द्वारा |
  • सूचनाओ को RTI धारा 6 (3) के तहत सम्बंधितो को अंतरित ही नहीं किया गया है |
  • देश में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार LIC में व्याप्त है , LIC भ्रष्टाचार में संघर्ष करने पर मेने छह माह की सजा काटी है |
  • RTI ने साबित किया सजा अधिकारों का दुरुपयोग व् न्याययिक प्रक्रियाओं का उल्लघन था |
  • मुझे सजा दिलाने वाले LIC अधिकारियों का भ्रष्ट्राचारो का पर्दाफाश RTI से किया है , उन्हें सजा देगा कौन |
  • LIC विभागीय प्रमोशन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति को मंद बुद्दी दक्षता एवं निपूर्णता में कमी समझकर विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करती है अन्यो के लिए आवश्यकता नहीं समझी जाती है जबकि देश के अन्य संस्थानों में ऐसा नहीं होता है , जो दलितों का सरासर अपमान है |
  • देश में सांविधानिक कानूनों की धज्जिया उडायी जाती है सबसे ज्यादा | LIC में फर्जी हस्ताक्षर फर्जी मेडिकल तथा डमी एजंसी का खुला प्रचलन है LIC में | LIC के इतिहास में 4490 405 एजंसी आदिवासी ने एक नया चेप्टर जोड़ा है | केन्द्रीय सूचना आयोग (CVC ) के आदेश को दिनांक 9.11.2011. dy 335 228 /1113 170 225 CVO ,LIC सेंट्रल आफिस को भी नजर अंदाज किया जा रहा है अपने भ्रष्ट्रा चारो में छिपाने के लिए |
  • में अपने अपमानो शोषण तथा 22 साल के संघर्ष के लिए 500 करोड मुआवजा की मांग कर रहा हूँ |
  • LIC कानून तथा देश से बड़ा नहीं LIC अधिकारी अपने भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रहे है |
  • 1996 में LIC अपने सतर्कता से हारी है , 1992में लगाए गए आरोप को बेबुनियाद साबित किया है
  • LIC अपने लाज रखने के लिए अपने अधिनियम के विरुद्ध 449405 एजंसी को कमीशन देती है |
  • जिससे LIC लाखो में भुगतान प्रतिवर्ष वर्षो से करती है जिसे आयकर दाता होना चाहिए था उसके पास बी० पि० एल० का राशनकार्ड है क्यों की वह LIC अधिकारी का फर्जी हस्ताक्षर से डमी है |
    सलग्नो का समिक्षा कर मार्ग दर्शन की कृपा की जाय |




जसवंत सिंह जंगपांगी