Wednesday 3 April 2013

चेरेटी आफ मदर टेरेसा


चेरेटी आफ मदर टेरेसा
चेरेटी आफ मदर टेरेसा नई दिल्ली ने मेरे मुश्किलों को आसान कर दिया वर्ष 2004 दिसम्बर में

कभी-कभी इंसान अचानक मुश्किलों में पड़ जाता है अपने आदतों के चलते जिसे उसका पागल पन कहा जाय ईश्वरीय परीक्षा 18 दिसम्बर 2004 अत्यधिक ठण्ड थी समस्त उत्तरी भारत में भारी हिमपात ,उत्तराखंड,हिमांचल तथा जम्मू कश्मीर में | में दिल्ली में था में घर वापसी के लिए महाराणा प्रताप isbt से घर की बस पकड़ना चाहता था | शानदार धुप, बस जाने में अभी चार घंटे बाकी थे, में निगम बौद्ध शमसान घाट चला गया शमसान घाट से लगे पार्क में टाइम पास कर रहा था उस पार्क से मेरा पुराना रिश्ता भी रहा है | LIC के आरोपों में संघर्ष भी मेने यही किया था इस पार्क में मेने कई रातो को धरती को बिछोना आसमा को ओढ़कर कई राते अभाव में किया था,इस पार्क ने मुझे कई मानवीय संवेदनाओं में कार्य का अवसर भी दिया उसी पार्क से मेने दुनिया की महान वित्तीय संस्था भारतीय जीवन बीमा निगम के राष्ट्रीय स्तर के सतर्कता को धुल चटाई थी | आरोप निराधार बेबुनियाद साबित हुआ था | उसी पार्क से मेने बाजू के ताकत से शक्तिशाली कलम के ताकत का अहसास किया पार्क ने ,मुझे दया करुणा तथा त्याग का मार्ग दिखाया था | पार्क जमुना किनारे जमुना बाजार से लगा है |
पार्क कंगलो (होमलेस) का सरन स्थली है | होमलेस लावारिसो को जिस तरह मुम्बई वालो ने टपोरी कलकत्ता वासियों ने मांगता तो दिल्ली वालो ने कंगला नाम दिया है |कंगला देश भारत का लघु रूप यानी मिनी इण्डिया है जिसमे हर, क्षेत्र,भाषा धर्म संस्कृति का मेल है, तो इसे मिनी सार्क भी कहा जाय तो कोई बुराई नही है | कंगला लाइन में बंगला देशी,पाकिस्तानी,भूटानी,तिब्बती,व नेपालियों की भी बराबरी का हिस्सेदारी है | जिन्दगी से हार चुके हताश निराश,नशे के आदि घर संसार से त्यागे जा चुके लोगो का अड्डा है कंगला लाइन | जिनमे मेरा बहुत बड़ा अधय्यन किया है मेने कई की जीवन गाथा लिखी है में और कंगला लाइन में |
में धुप का आनन्द ले रहा था | अचानक एक एम्बुलैंस रुकी कोई चिल्ला रहा था | मुझे मत फ़ेको कंगलो की भीड़ उधर को उमड़ पड़ी थी में भी आगे बड़ा एक टांग कटी हुई | दूसरे में पट्टी सर हाथो में पट्टीया,एम्बुलैंस से उसे कर्मचारी उत्तारने का प्रयास कर रहे थे,कंगले आश्चर्य चकित देख रहे थे |बोलने का साहस किसी में नही था | में बोल पड़ा क्यों कर रहे हो ऐसा ? लावारिस है घर ले जायेगा क्या ! उत्तार कर चले गये | मेने कुछ लोगो के सहारे पेड़ के समीप ले गया बैग से कम्बल निकाला बिछाया उसे लिटाया चाय पानी उसे पिलाया बहुत घबरा रहा था,उसे धीरज दिलाया | पूछने पर उसने बताया वह उत्तर-प्रदेश प्रताप गढ़ का रहने वाला है | पहले पंजाब में होटल में कारीगरी करता था उग्रवाद के चलते दिल्ली चला आया होटलों,शादियों,पार्टियों में कारीगरी करता हूँ | कंगला लाइन में रहता हूँ | मेरा नाम प्रताप सिंह लक्ष्मी सिंह है शराब बहुत पिता हूँ गांजा भी,14 दिन पहले शराब पीकर लाल किला इलाके में घूम रहा था बस से टकरा गया कार ऊपर चढ़ गयी | पुलिस ने सिविल लाइन ट्रामा सेंटर नियर चन्दगी राम व्यायामशाला भेज दिया जहा एक टांग हाथ काट दी कई बोतल खून चढ़ा |
दिन ढलने लगी शाम होने लगी | कंगलो की भीड़ छटने लगी प्रताप रोने लगा हाथ जोड़ कहने लगा भैया मुझे मत छोड़ना वरना में मर जाऊँगा ठण्ड में दिल्ली के हर जुगाड़ से में वाकिफ हूँ पांच सितारा होटल से लेकर फुटपाथों में कई राते गुजारी है मै पानी,दवाई खाना लेकर आया रात होंने लगी किराये की रजाई ले आया रात हो गयी में घर तथा बस को भूल गया | कुछ कंगले भी रात में वहा थे, जो आग जलाकर रात को बिता रहे थे | दूसरे दिन जमुना बाजार में सरन संस्था जो नशा मुक्ति,टी० बी० का उपचार की मुहीम चलाते है दर्जनों उत्तर-पूर्व के लड़के लडकिया संस्था में कार्य करते है| डॉ भी है मुझे उनका सहयोग मिला दवाई पट्टी बदलने की समस्या हल हो गयी |पत्रकार श्रेयांसु शेखर ने प्रताप के सम्बन्ध में कई लेख नवभारत टाइम्स में प्रकाशित किये | अब आवश्यकता थी प्रताप को स्थायी सरन तथा दुर्घटना क्लेम दिलाने की | में ट्रामा सेंटर सिविल लाइन नियर चन्दगी राम व्यायाम शाला पहुंचा मुझे प्रताप की MLC चाहिये थी | वह CMO आर एस टोलिया थे जो मेरे क्षेत्र के थे | उन्होंने बहुत खेद व्यक्त किया बेड की तथा दुर्घटनाओ की समस्या बताई अच्छा होता उसे जहर का इंजेक्सन दे देते अब वह मरेगा पार्क में ठण्ड से घुट घुट कर उनके पास कोई जवाब नही था | तीस हजारी कोर्ट में क्लेम का दावा प्रस्तुत किया गया फिर प्रताप को चेरेटी आफ मदर टेरेसा के सरन संस्था नई दिल्ली में सरन दिलाने में कामयाब रहा | सरन संस्था का मानवीय सहयोग मिला जहा उत्तराखंड नेपाल तथा तिब्बत के कई नशा मुक्ति तथा टी ० बी० का उपचार ले रहे थे | कालिका धारचूला निवासी पुष्कर सिंह बिष्ट मेस चलाता था वह कभी दिल्ली के फुटपाथों का भयंकर स्मेकी हुआ करता था |

परम पिता परमेश्वर के क्रिओअ से मैने कई मानिविय सवेंदानाओ में अकेला संघर्ष किया है As a one man army की तरह में प्रभु ईसा मसीह का आभारी हूँ |

अवलोकन की कृपा करे |
http://humancorruption.blogspot.in/ My Struggling Life As a One Man Army For Poor People, SC/ST harassment and Corruption

जसवन्त सिंह जनपांगी E-mail-jjanpangi@gmail.com 

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