Tuesday 8 September 2015

रिहाई के लिये
दिल नही पसीजा डॉ  कुरैशी का 

 
 
 डॉ कुरैशी प्रशिक्षु न्यायिक मजिस्ट्रेटों को नसीयत दे गए गरीबों, लाचारों, बेबसों के लिये लेकिन स्वयं कार्य कर गए साधन संम्पन्न  राजनीतिक पहुंच  वालों  को सजा से मुक्त करके माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अवमानना से क्या यही लोकतंत्र है?

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