Sunday 1 November 2015

मेरे संघर्षाें मे मीडिया की खबर पर भी संवेदन विहीन देश प्रदेश

मेरे संघर्षाें  मे मीडिया की खबर पर भी संवेदन विहीन देश प्रदेश समाज के ठेकेदार मानवाधिकार के रक्षक राजनेता एन जी ओ समर्थन में आगे नही आया क्योंकि  मामला अत्यधिक निर्धन अल्पसंख्यक आदम आदिवासियों से सम्बंधित था जिनके पास वोट है न नोट न आंदोलन करने की शक्ति। शुक्र है अखबारों की खबर पढ़कर मुख्य न्यायाधीश हाई कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान मे लिया राजी आदिवासी नाबालिगों को आजीवन कारावास मामले को, परंतु पूर्व महामहिम राज्य पाल अजीज कुरैशी जिनके द्वारा गैर क़ानूनी तरीके से साधन सम्पन्न राजनीति में ऊंंची पहुंच रखने वालो को सजा से मुक्ति दे दी लेकिन बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के अनुरोध पर भी नाबालिगों को महामहिम राज्य पाल ने आदिवासी  नाबालिगों को सजा से मुक्ति नही दी जबकि उन्हें किशोर अधिनियम के तहत तुरंत सजा से मुक्त  कर देना था, यदि कोई अवयस्क को वयस्कों के साथ जेल में रखा गया है अवयस्क साबित  होते ही उन्हें बाल सुधार गृह में भेजा जाना चाहिये पर कार्यवाही किशोर न्यायालय में की जानी चाहिये माननीय हाई कोर्ट दिल्ली - पूर्व महामहिम राज्य पाल ने हर कार्यवाही राज्य पाल की तरह न  कर कर संवेदन विहीन होकर पूर्व के नबाबों की तरह की गई  जो दुर्भाग्य पूर्ण था दुनिया के महान लोकतंत्र के लिये। उत्तराखण्ड में जनजातियों का संगठन जनप्रहरी (रजि ० ) जिसमें I A S , I P S , P C S, डॉक्टर, इंजीनियर तथा अन्य विभागों  में तैनात तथा राजनेताओं की भरमार है हर किसी ने नजरअंदाज किया है वनराजी के सामाजिक न्याय एवं अधिकारों को उन्हें इन्शान ही नही समझा , मुझे वनराजियों के तथा गरीब अन्य आदिवासियों के अवहेलना पर खबर छपवाने में वर्षो संघर्ष करना पड़ा आदिवासियों की अवहेलना माननीय मुख्यमंत्री हरीश रावत के कांग्रेस सरकार को महंगा पड़ेगा  हरीश रावत द्वारा जानबूझकर जनजातियों के अवहेलना में जनजाति आयोग का उपाध्यक्ष एक दुकानदार को बनाया गया है जो हर तरह से अनभिज्ञ है जबकि जनजातियों से.नि. वरिष्ठ I A S , I P S , P C S, डॉक्टर, इंजीनियर तथा अन्य विभागों  तथा जागरूक समाजसेवकों की भरमार है। 










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